The Ultimate Guide To Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
The reverence for Goddess Tripura Sundari is obvious in just how her mythology intertwines While using the spiritual and social cloth, giving profound insights into the nature of existence and The trail to enlightenment.
हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना
Shodashi’s Vitality fosters empathy and kindness, reminding devotees to approach Some others with understanding and compassion. This reward promotes harmonious associations, supporting a loving approach to interactions and fostering unity in relatives, friendships, and Group.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Should the Shodashi Mantra is chanted with a clear conscience and also a decided intention, it can make any want arrive correct in your case.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, more info विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
Goddess Tripura Sundari is usually depicted as a maiden donning amazing scarlet habiliments, dark and extended hair flows and is completely adorned with jewels and garlands.
Her part transcends the mere granting of worldly pleasures and extends to your purification from the soul, leading to spiritual enlightenment.
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।